Monday, December 28, 2020

टूटकर बिखर जाएंगे

उम्मीद थी तेरी उम्मीदों पर खड़ा उतर जाएंगे,

खबर कहाँ थी मुझे,यूँ आँखों से उतर जाएंगे


तेरी उल्फ़त के कायल कुछ इस क़दर रहें हम,

गर बहक भी गए तो भी सँवर जाएंगे;


कभी वक़्त बेरहम रहा,कभी गुनाहगार हम भी हुए,

हार गए जीती हुई बाजी,अब किधर जाएंगे;


अब मेरा हँसना भी गवारा नहीं होता कइयों को,

बैठूँ गर खामोशियों के आँगन में,तो भी अखर जाएंगे;


हिम्मत ही नहीं होती फिर आगाज़ करने की,

गर अब हारें तो बेशक टूटकर बिखर जाएंगे।



Wednesday, December 2, 2020

वहीं अंत पाता हूँ

 इन सर्द रातों में,अपने मंजिल से अनजान चला जाता हूँ,

थक कर चूर हो,कँपकपाता हुआ, कहीं बैठ जाता हूँ,

नज़ारें आस पास का देख एक बारगी फिर ठिठक जाता हूँ, 

जहाँ से शुरुआत हुई थी सफर की,वहीं अंत पाता हूँ।


अब ना वक़्त का पता है,ना मंजिल-ए-खुशी की है खबर,

मुश्किलों की गोद में पलता है,मेरे सपनों का उम्दा शहर,

फिर भला किस सोच में,मैं किधर जाता हूँ?

जहाँ से शुरुआत हुई थी सफर की,वहीं अंत पाता हूँ। 


मेरी हर चेतना को ढ़कता है,मेरे गरीबी का खुला अंबर,

ना खाने को है दो रोटी, ना सोने को मेरा बिस्तर ,

फटे कपड़ो की गठरी से,मैं अपनी लाज बचाता हूँ,

जहाँ से शुरुआत हुई थी सफर की,वहीं अंत पाता हूँ।


यहाँ झूठ लाखों में बिकते है, सच का मूल्य दो कौड़ी,

अमीर तिजोरी भरते है,होती गरीबो से यहाँ चोरी,

नींद की ख्वाहिश में,मैं खुद को, मेरा अतीत सुनाता हूँ,

जहाँ से शुरुआत हुई थी सफर की, वहीं अंत पाता हूँ।


मुझे याद आती है,बचपन की वो धुँधली सूरत, 

बस ठोकरें मिली मुझे, कह नफ़रत का ये मूरत, 

गिरा गया जहां मुझको, मेरी ही नज़रों में, 

इस वेदना से आहत हो,मैं सहम सा जाता हूँ,

जहाँ से शुरुआत हुई थी सफर की,वहीं अंत पाता हूँ।

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In sard raton me,apne manjil se anjan chala jata hu,

Thak kar chur ho,kanpkapata hua, kahin baith jata hu,

Nazaarein aas pas ka dekh ek bargi fir thithak jata hu,

Jahan se shuruaat huyi thi safar ki,wohi antt pata hu.


Ab naa waqt ka pta hai,naa manjil-e-khushi ki hai khabar,

Mushkilon ki god me palta hai, mere sapno ka umda sheher,

Phir bhala kis soch me, main kidhar jata hu ?

Jahan se shuruaat huyi thi safar ki,wohi antt pata hu.


Meri har Chetna ko dhakta hai,mere garibi ka khula ambar,

Naa khane ko roti hai,naa sone ko mera bistar,

Fate kapdo ki gathari se,main apni laaz bachaata hu,

Jahan se shuruaat huyi thi safar ki,wohi antt pata hu.


Yahan jhooth lakhon me bikte hai,sach ka mulya do kauri,

Ameer tizori bharte hai,hoti gareebo se yahan chori,

Neend ki khwahish me main khud ko, mera ateet sunata hu,

Jahan se shuruaat huyi thi safar ki wohi antt pata hu.


Mujhe yaad aati hai bachpan ki woh dhundhali soorat,

Bss thokre mili mujhe,keh nafrat ka ye moorat,

Gira gaya jahan mujhko meri hi nazro me,

Iss vedna se aahat ho,main seham sa jata hu,

Jahan se shuruaat huyi thi safar ki wohi antt pata hu.

सोहबत

ख़्वाबों को हक़ीक़त दो,इन गलियों का ठिकाना दो, अपनी जुल्फ़ों को ज़रा खोलो,मुझे मेरा ठिकाना दो मयकशी का आलम है,मोहब्बत की फिज़ा भी है, आखो...