उम्मीद थी तेरी उम्मीदों पर खड़ा उतर जाएंगे,
खबर कहाँ थी मुझे,यूँ आँखों से उतर जाएंगे
तेरी उल्फ़त के कायल कुछ इस क़दर रहें हम,
गर बहक भी गए तो भी सँवर जाएंगे;
कभी वक़्त बेरहम रहा,कभी गुनाहगार हम भी हुए,
हार गए जीती हुई बाजी,अब किधर जाएंगे;
अब मेरा हँसना भी गवारा नहीं होता कइयों को,
बैठूँ गर खामोशियों के आँगन में,तो भी अखर जाएंगे;
हिम्मत ही नहीं होती फिर आगाज़ करने की,
गर अब हारें तो बेशक टूटकर बिखर जाएंगे।
God h na, thumhe kabi bi tootne nahi denge
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