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Sunday, November 7, 2021

पूछते हैं

अक्सर अंधेरी रातों से घर का पता पूछते हैं, 

जो ख़ता की ही नहीं,आज वो ख़ता पूछते हैं। 


जो छोड़ जाते हैं मुझे तन्हाईयों में अक्सर,

गैरों की चौखट पर जा,मेरी वफ़ा पूछते हैं। 


शुक्र है,मैंने तालीम ली है चुप रहने की,

 भावनाओं के रंगमंच पर वो मेरी अदा पूछते है ।


जब जुस्तजूँ ना रही किसी खोखले दिखावे की,

आज वो सारे शहर से,मेरी सदा पूछते हैं।



Monday, May 24, 2021

खोज लो

छलावे की दुनिया में,एक सच्चा इंसान खोज लो,

इस बिखरी सी बस्ती में,अपना मकान खोज लो।


गर बख़्शा खुदा ने,भरोसे का जेवर,

तो पत्थर में खुद का भगवान खोज लो।


हर रिश्ते का नाम हो,जरूरी नहीं ये,

उसे पलकों पे बिठाकर,खुशियाँ तमाम खोज लो।


उन जज्बातों का क्या,जो भटके हुए है,

गर चाहत नहीं हो तो अपना ईमान खोज लो।



Sunday, January 17, 2021

तू दिल में उतर आया

 कई अरसे बाद मेरी दुआओं में असर आया,

लगा जैसे चाँद मेरे आँगन में उतर आया,


यूँ तो अक्सर ही मेरे ख़्यालों में रहा करते थे तुम,

अब तेरा ख़्याल तेरी तमन्ना में बदल आया,


हद-ए-बेबसी का आलम पूछो ना हमसे,

मैं मेरा न रहा,बस तेरा ही नज़र आया,


तेरी कुर्बत में हो जाऊं मैं "रौशन"

किया जो ज़िक्र तेरा,तू दिल में उतर आया।



Friday, January 15, 2021

गज़ब की वफ़ा दे गया

 कौन है वो जो मेरी आँखों को मोहब्बत का नशा दे गया,

आब-ए-तल्ख़ हाथों में थी,कोई लबों से पिला दे गया;


याद आयी है मुझे कुछ बिसरी सी ग़मगीन सूरतें उनकी,

शुक्रिया उसका जो मेरे जख्मों को फिर हवा दे गया;


बेतहाशा रोना था मझे शायद अपनी ही रंजिश में ,

ग़मों के प्यालें में,इश्क़ की चासनी घोल,कोई हँसा दे गया;


अब तो नज़रें उठती ही नहीं कहीं और तेरे चेहरे के सिवा,

बातों ही बातों में,कोई गज़ब की वफ़ा दे गया।



Sunday, November 22, 2020

तन्हाई

इन मखमली सी रातों में फिर से कोई याद आया हैं,
बुझे हुए चिंगारी को किसी ने आग  लगाया हैं।

यूँ तो हर रोज़ ही गुफ़्तगू होती है तन्हाई से,
पर आज इन तन्हाइयों ने भी में मेरा मजाक बनाया हैं।

शायद हवाओं ने भी रुख बदल लिया है आज,
सबने ही किसी खालीपन का एहसास दिलाया हैं।

अब तो मैं कहीं खोने से भी नहीं डरता,
मुझे मेरी राहों ने ही भटकना सिखाया हैं।


Wednesday, October 7, 2020

बाद-ए-सबा

 रात की तारीकियों में,क़मर की दख़लअंदाज़ी,

जैसे लगता हैं पट खुला हो आसमान का।


शम्स की पहली किरण के संग,बाद-ए-सबा की खुशबू,

जैसे फ़ज़ा में पीयूष घोल दिया हो किसी ने।


विहंग के कलरव,जैसे बयाँ कर रहे हो,

कितने खूबसूरत होते हैं, जिंदगी के शोर।


अनिल का मंद-मंद चलना,जैसे वो इल्तला कर रहा हो,

मंज़िल पाने के लिए चलते रहने का महत्व।


उपवन में सुमन की माधुर्यता,

जैसे लगता है इठला रही हो,गुलशन अपने सौन्दर्य पर।।

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शब्द संकलन:-तारीकियाँ-darkness; क़मर-moon

शम्स-sun;बाद-ए-सबा-morning breeze; पीयूष-elixer of life/ambrosia;विहंग-bird; अनिल-air; सुमन-flower;

गुलशन-garden

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

Raat ki tarikiyon mein, qamar ki dakhalandazi,

Jaise lgta hai pat khula ho aasmaan ka.


Sams ki pehli kiran ke sath,baad-e-sava ki khusboo,

Jaise faza me piyush ghol diya ho kisi ne.


Vihang ke kalrav, jaise bayan kar rhe ho,

Kitne khubsoorat hote hai zindgi ke shor.


Anil ka mand-mand chalna jaise  iltala kara rha ho,

Manzil pane ke liye chalte rehne ka mahtva.


Upwan me suman ki maadhuryta,

Jaise lagta hai ithla rhi ho,gulshan apne sondraya par.






Sunday, October 4, 2020

तुम आओ ना

 तुम आओ ना,तुमको दिखायेंगे हम,

कितनी हसीन लगती हो मेरी आँखों से,

तुम आओ ना,तुमको बतायेंगे,

वो अनकहे सच, जिसको सुन ने को तुम तरसी हो,

तुम आओ ना,तुमको दिखायेंगे कितनी सुनसान सी है जिंदगी तुम्हारे बिन,

तुम आओ ना,तुमको दिखायेंगे,

धड़कनो का ठहर जाना जब तुम पास होती हो,

तुम आओ ना,तुमको दिखायेंगे,

कितना गहरा असर हो गया है तम्हारी मोहब्बत का,

तुम आओ ना,तुमको दिखायेंगे, कितने अधूरे जज़्बात होते है जब तुम चुप होती हो,

तुम आओ ना,तुमको दिखायेंगे, कितनी तलब है तुमको पाने की,

तुम आओ ना,तुमको दिखायेंगे, वो सपने जो मैंने सज़ा रखे हैं तुम्हारे संग,

तुम आओ ना,तुमको दिखायेंगे, अपना कल, जो सिर्फ तुम्हें तलाश रही है,

तुम आओ ना, तुमको दिखायेंगे कि वो तुम्ही हो जिसे पाने की चाहत में खुद को खो चुका हूँ,

तुम आओ ना,तुम आओ तो सही.....

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

Tum aao naa,tmko dikhayenge hum,

Kitni haseen lgti ho meri aankhon se,

Tum aao naa, tmko btayenge,

woh Ankahe sach jisko sun ne ko tm tarsi ho,

Tum aao naa, tmko dikhayenge,

kitni sunsan si hai jindgi tumhare bin,

Tum aao naa, tmko dikhayenge, 

Dhadkano ka theher jana jb tm paas hoti ho,

Tum aao naa, tmko dikhayenge, 

Kitna gehra asar ho gya tmhari mohhabbat ka, 

Tum aao naa, tmko dikhayenge,

kitne adhure zazbaat hote hai jb tm chup hoti hoti ho,

Tum aao naa, tmko dikhayenge,

kitni talab h tumhe pane ki,

Tum aao naa, tumko dikhyenge,

woh sapne jo maine saza rakhhe h tumhare sang,

Tum aao naa, tmko dikhayenge,apna kal 

Jo sirf tmhe talaash rahi hai,

Tum aao naa,tumko dikhayenge,

woh tmhi ho jise pane hi chahat me khud ko kho chuka hu

Tum aao naa,tum aao to sahi....




Friday, October 2, 2020

तमाशा

 कल्पनाओं के सागर में,तुमसे मिलने की चाहत थी,

स्वप्नों की वादियों में,तुम्हें पाने की हसरत थी;

अनजान राहों पर तुम्हें, तलाशती रही मेरी अँखियाँ,

रूबरू तू नहीं मेरे,ख़ुदा की कैसी रहमत थी?


बसती थी तू मेरे,अंतर्मन की आशा में,

वास्तविक अर्थ ना तेरा था जीवन-प्रत्याशा में;

वफ़ा कैसी थी मेरी,ये कैसी थी मेरी उल्फ़त,

तमाशा बन गया था मैं,इस तमाशा में।।

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

Kalpanao ke sagar me, tumse milne ki chahat thi,

Sapno ki vaadiyon mein,tumhe pane ki hasrat thi;

Anjaan raaho pr tumhe,talaashti rahin meri aankhein,

Rubaroo tu nhi mere,khuda ki kaisi rahmat thi?


Basti thi tu mere,antarman ki aasha mein,

Vastavik arth naa tera tha jeevan-pratyasha mein,

Wafa kaisi thi meri,ye kaisi meri ulfat,

Tamaasha bn gya tha main,iss tamaasha mein.




सोहबत

ख़्वाबों को हक़ीक़त दो,इन गलियों का ठिकाना दो, अपनी जुल्फ़ों को ज़रा खोलो,मुझे मेरा ठिकाना दो मयकशी का आलम है,मोहब्बत की फिज़ा भी है, आखो...