Friday, January 15, 2021

गज़ब की वफ़ा दे गया

 कौन है वो जो मेरी आँखों को मोहब्बत का नशा दे गया,

आब-ए-तल्ख़ हाथों में थी,कोई लबों से पिला दे गया;


याद आयी है मुझे कुछ बिसरी सी ग़मगीन सूरतें उनकी,

शुक्रिया उसका जो मेरे जख्मों को फिर हवा दे गया;


बेतहाशा रोना था मझे शायद अपनी ही रंजिश में ,

ग़मों के प्यालें में,इश्क़ की चासनी घोल,कोई हँसा दे गया;


अब तो नज़रें उठती ही नहीं कहीं और तेरे चेहरे के सिवा,

बातों ही बातों में,कोई गज़ब की वफ़ा दे गया।



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