कौन है वो जो मेरी आँखों को मोहब्बत का नशा दे गया,
आब-ए-तल्ख़ हाथों में थी,कोई लबों से पिला दे गया;
याद आयी है मुझे कुछ बिसरी सी ग़मगीन सूरतें उनकी,
बेतहाशा रोना था मझे शायद अपनी ही रंजिश में ,
ग़मों के प्यालें में,इश्क़ की चासनी घोल,कोई हँसा दे गया;
बातों ही बातों में,कोई गज़ब की वफ़ा दे गया।
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