कविता बस एक शब्द नहीं है अपितु यह खुद में ही अलंकारित संपूर्ण कायनात की छवि हैं,यह वो माध्यम हैं जो अंतर्मन के प्रांगण में विचारों एवं जज्बातों को शब्दों के माध्यम से एक नई दिशा प्रदान करती हैं।मस्तिष्क-पटल पर अंकित स्वप्नों को सार्थक करने में एवम स्वयं को खुद से रूबरू कराने का जरिया ही कविता हैं। कविता की जागृति भाव से होती हैं और भाव का प्रादुर्भाव प्रासंगिक अथवा व्यतिगत हालात से सराबोर होती हैं।
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सोहबत
ख़्वाबों को हक़ीक़त दो,इन गलियों का ठिकाना दो, अपनी जुल्फ़ों को ज़रा खोलो,मुझे मेरा ठिकाना दो मयकशी का आलम है,मोहब्बत की फिज़ा भी है, आखो...
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ख़्वाबों को हक़ीक़त दो,इन गलियों का ठिकाना दो, अपनी जुल्फ़ों को ज़रा खोलो,मुझे मेरा ठिकाना दो मयकशी का आलम है,मोहब्बत की फिज़ा भी है, आखो...
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उम्मीद थी तेरी उम्मीदों पर खड़ा उतर जाएंगे, खबर कहाँ थी मुझे,यूँ आँखों से उतर जाएंगे तेरी उल्फ़त के कायल कुछ इस क़दर रहें हम, गर बहक भी गए तो भ...