Monday, September 21, 2020

ख़ुदा की बंदगी

अजल से अबद तक हमें उस खुदा की चाहत हैं;

अक़ीदा  है उनपे, और आंखों से इबादत है।

ये कायनात उनकी है, उन्हीं की मलकीयत भी है;
इख्तियार भी उनका, उन्हीं की असलियत भी है।

इस अय्यार दुनिया में,खुदा भी बन्दिशों में है;
चल मत चाल तू अपने,अभी तू गफलतों में है।

गर एहसास जो होता, तो कई सवालात ना आते;
चर्ख पर शम्स और  सितारे ना आते।

कुछ तो एहतियात कर,कुछ तो ख्याल कर;
वफा कर तो उनसे कर,कुछ मालूमात कर।

चैन की तो नींद उनसे ही आती हैं,
खुदा जो तेरे साथ है,तो फक्र बेमिसाल कर।

कोहसार हैं वो इस हयात के,
गर चढ़ सको,तो भरोसा बेशुमार कर।।
    ---------×××-------×××----

##शब्द संकलन##
अक़ीदा:-भरोसा;अय्यार:-मायावी;चर्ख:-आसमान;शम्स:-सूरज
कोहसार:-पहाड़;हयात:-जिंदगी
Add caption


4 comments:

सोहबत

ख़्वाबों को हक़ीक़त दो,इन गलियों का ठिकाना दो, अपनी जुल्फ़ों को ज़रा खोलो,मुझे मेरा ठिकाना दो मयकशी का आलम है,मोहब्बत की फिज़ा भी है, आखो...