बड़ी तपिस थी उनकी लफ़्ज़ों में ,
हमने तो बस आईना दिखाया था ।
वक़्त बेवक़्त आरज़ू चांद की थी उन्हें ,
बड़ी जद्दोजहद से हमने उसे भी मुक्कमल कराया था ।।
हमने सोचा हम तो शौक -ए -कामिल होंगे उनके लिए ,
पर उन्होंने दिलासा किसी और को दिलाया था ।
बेवजह तो शायद नहीं थी मेरी मोहब्बत ,
इस इश्क़ ने तो जीना सिखाया था ।।
ना तो वक़्त ठहरा , ना ही सोच बदली ;
धड़कनों को भी ठहरने का ऐहसास मैंने कराया था ।
बेज़ान से हुए इस रिश्ते की डोर को ,
एक बारगी फिर राह -ए -वफा तक लाया था ।।
Bhut badhiya👌👌👍👍
ReplyDeleteThank u so much😊
DeleteReally great 👌🏻👌🏻❤️
ReplyDeleteThank u 😊😊
DeleteGreat writing and good thoughts.
ReplyDeleteThanks a lot 😊😊
DeleteGreat bhaiya
ReplyDelete☺️☺️☺️
Thank u dear😊😊
ReplyDelete❤️❤️❤️❤️👌👌👌
ReplyDeleteThank u 😍
DeleteReally nice!! 🌸
ReplyDeleteThank u a lot
ReplyDelete