छलावे की दुनिया में,एक सच्चा इंसान खोज लो,
इस बिखरी सी बस्ती में,अपना मकान खोज लो।
गर बख़्शा खुदा ने,भरोसे का जेवर,
तो पत्थर में खुद का भगवान खोज लो।
हर रिश्ते का नाम हो,जरूरी नहीं ये,
उसे पलकों पे बिठाकर,खुशियाँ तमाम खोज लो।
उन जज्बातों का क्या,जो भटके हुए है,
गर चाहत नहीं हो तो अपना ईमान खोज लो।
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