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Saturday, May 22, 2021

सजदा इश्क़ का

हलक में जान अटकी तो लबों पर बात आ गई,

मयकदे से अभी निकला और मोहब्बत साथ आ गई ।


ज़रा कोई मौत से कह दो रोके कदम अपनी,

मयस्सर इश्क़ हुआ मेरा,मेरी हयात आ गई।


मुख़्तसर ही सही,ठहरी जो नज़र उनपे,

लगा जैसे मुझे नज़र सूरत-ए-कायनात आ गई।


किसी का चाँद आया था अपनी वफ़ा लेकर,

सजदा इश्क़ का करने,तारों की बारात आ गई।


अंधेरे में जो मैं निकला "रौशन" शमा करने,

अभी तो लौ जलानी थी तभी बरसात आ गई।

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शब्द संकलन:-

मयकदे-मदिरालय;मयस्सर-प्राप्तयहां होना;हयात-ज़िन्दगी; मुख़्तसर-थोड़ा;शमा-दीया

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सोहबत

ख़्वाबों को हक़ीक़त दो,इन गलियों का ठिकाना दो, अपनी जुल्फ़ों को ज़रा खोलो,मुझे मेरा ठिकाना दो मयकशी का आलम है,मोहब्बत की फिज़ा भी है, आखो...