हलक में जान अटकी तो लबों पर बात आ गई,
मयकदे से अभी निकला और मोहब्बत साथ आ गई ।
ज़रा कोई मौत से कह दो रोके कदम अपनी,
मयस्सर इश्क़ हुआ मेरा,मेरी हयात आ गई।
मुख़्तसर ही सही,ठहरी जो नज़र उनपे,
लगा जैसे मुझे नज़र सूरत-ए-कायनात आ गई।
किसी का चाँद आया था अपनी वफ़ा लेकर,
सजदा इश्क़ का करने,तारों की बारात आ गई।
अंधेरे में जो मैं निकला "रौशन" शमा करने,
अभी तो लौ जलानी थी तभी बरसात आ गई।
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शब्द संकलन:-
मयकदे-मदिरालय;मयस्सर-प्राप्तयहां होना;हयात-ज़िन्दगी; मुख़्तसर-थोड़ा;शमा-दीया
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