खुद के अश्क़ों को मुझसे छुपाना छोड़ दो,
रातों की खामोशियों में खुद को जगाना छोड़ दो।
हम पी लिया करेंगें कड़वे साँसों के घुट भी,
तुम अपने जज्बातो को मीठी चासनी में डुबाना छोड़ दो।
बड़ी हिफाज़त से रखेंगे तुम्हें इश्क़ के आँगन में,
यूँ अनजान सी राहों में खुद को भुलाना छोड़ दो।
हर शख्स आश्ना हो ये जरूरी तो नहीं,
यूँ गैरों के ज़ख्मों पर मरहम लगाना छोड़ दो।
तुम्हारी हिफाज़त तो "रौशन"फ़िज़ा भी करेंगे,
फक़त इन अंधेरों से आँखें चुराना छोड़ दो।
👌👌👌👌❤️❤️
ReplyDeleteBhut hi aachi hai🥰🥰🥰
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