यूँ तो तुम्हें इंतकाम की आदत न थी,
यूँ तो तुम्हें इनकार की आदत न थी।
तुम तो लोगों के हृदय में खुदा ढूँढते थे,
यूँ तो तुम्हें बुतपरस्ती की आदत न थी।
मैंने तो तुम्हें खुद पर एतवार करते देखा था,
यूँ तो तुम्हें इज़्तिरार की आदत न थी।
अज़ल से तुम्हारें इमान को पाक देखा हमने,
यूँ तो तुम्हें इम्तियाज़ की आदत न थी।
तुमने सागर के हृदय में लहरों से दोस्ती की थी,
यूँ तो तुम्हें हाशिये की आदत न थी।
तुम तो ख़ालिस हुआ करते थे कभी,
यूँ तो तुम्हें कपट के चोंगें की आदत न थी।
तुम्हारा तो कल हमेशा "रौशन" हुआ करता था,
यूँ तो तुम्हें तारीकियों की आदत न थी।।
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शब्द संकलन:-
इंतकाम-बदला/revenge; बुतपरस्ती-मूर्ति की पूजा;एतवार-भरोसा/faith;ईमान-श्रद्धा/belief; इज़्तिरार-विवशता/helplessness; अज़ल-शुरुआत/beginning; पाक-शुद्ध/pure; इम्तियाज़-अंतर करना/dicriminance;हाशिया-किनारा;खालिस-निष्कपट/pure;तारीकी-अंधेरा/darkness
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