मौन पड़े कुछ वायदे है,तुम भूले हम याद करें,
वक्त ने तेवर बदले हैं,हम सोचे,हम याद करें।
तेरी हर बात झूठी थी,तेरे जज़्बात थे नकली,
कुछ मौसमी ये रिश्ता था,कुछ बातें हम याद करें।
जरूरत मुकम्मल होते ही,हजारों ऐब अब मुझमें
पहले आँख पर पट्टी थी,तुम सोचो हम याद करें।
फासले बढ़ाने को गर बस बहाने की जरूरत थी,
तुम पहले ही कह देते,बाकी क्या अब याद करें।
मैं शर्मिंदा हूं खुदपर कि मेरे कोहिनूर के दामन में,
जगह पत्थर की तो न थी,मैं क्या था क्या याद करें।
अंधेरे की आगोश में,ये 'रौशन' चिराग बुझ गया,
कोई चाहत नहीं बाकी,तुमको भूलें,ना याद करें।
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