Saturday, December 24, 2022

सफर ना पूछ

तू साहिल का पता ले ले,मौजों का सफर ना पूछ,

यूं देकर हवाला सुबह का,रातों का सफर ना पूछ।


भले तू पूछ ले मुझसे सबब मेरे इन सर्द लहजे का,

मोहब्बत का पता ले ले,मोहब्बत का असर ना पूछ।


जो पलकों पर सजाया था,वो सारे ख़्वाब तू ले जा,

जो यादों में उतरती हो, वो बहकी सी नज़र ना पूछ। 


चैन-ओ-सुकूं का हर कतरा,लूटा आया मैं सब उसपर

अज़िय्यत रास अब मुझको,राहत की ख़बर ना पूछ।


अगर तू जानना चाहे मेरे माज़ी की हकीकत को,

इन आँखों में उतर जा तू,किसका है ये घर ना पूछ।


चराग़ाॅं जलाना छोड़ दे,'रौशन' यहाँ कुछ भी नहीं,

फ़क़त यहाँ रात हुई अपनी,हुई कैसे सहर ना पूछ।



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सोहबत

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